Vol. 8, Issue 10, Part A (2022)
पद्मश्री उषाकिरण खानक ‘दूर्वाक्षत’ उपन्यासमे नारी-जागरण
पद्मश्री उषाकिरण खानक ‘दूर्वाक्षत’ उपन्यासमे नारी-जागरण
Author(s)
मेघा झा
Abstract
मंगला जे एहि उपन्यासक नायिका छथि ओ अपन कर्तव्य केँ बच्चे सँ बुझैत छलीह। तेँ स्कूल जाइ सँ पहिने घरक सबटा काज सम्पन्न क’ भानस-भात क’ स्कूल जाइत छलीह। नगर भरि के ओ दुलारू बेटी छलीह। पढ़य-लिखय मे मेधावी छलीह। क्लास मे हरदम फस्ट करैत छलीह। हुनक विवाह एक व्यक्तित्वहीन लोक सँ भ’ गेलनि जनिक नाम त्रिवेणी झा छलनि। लोक हुनका मजाक सँ टिरकू झा कहैत छलनि। दुनू दकमदम अगल छल। मंगला केँ अपन पति सँ सेहो खुश नहि छलीह। उषाकिरण खान मंगलाक सौन्दर्यक वर्णन करैत लिखने छथि - पिंडश्याम रंग छनि। आँखि घुमरल-घुमरल छनि। घनगर केस छनि। आँखि केँ घुमरल- घुमरल कहलनि, से संतोषजनक नहि लगैत अछि कारण केस घुमरल होइत अछि, आँखि नहि। मंगला केँ माय नहि छथिन मुदा अंत मे विभिन्न सूत्र सँ पता लगैत अछि जे ओ जीवित छथि तऽ ओ अपन माय सँ मिलबाक हेतु बेचैन भऽ जाइत छथि आ अपन माय केँ पता लगबय लगैत छथि। मंगला केँ पता लगैत अछि जे ओकर भाई आ बाप मिलि कऽ ओकर माय पर झूठक आरोप लगा कऽ घर सँ बेज्जति कय निकालि देने छैक। भाई कहलनि जे दुनू बेटीक चरित्र माये सन छनि आ मंगला केँ आ माय संग बहिनो कँे बहुता किछु कहि अपमानित कयलनि। ई सभ सुनि मंगला केँ बहुत दुख होय छनि। पिता पर विश्वास छलनि जे ओ हिनक संग देथिन मुदा पिता सेहो मंगला केँ अपमानित कयलनि। पति द्वारा ओकर माय पर झूठक आरोप लगेनाइ जे माय जेना अपन पति-बेटा सँ विमुख भइयो कऽ अपन प्रेमी लेल जान दऽ देलक। ई सुनि मंगला केँ अपन पति सँ आओर घृणा भऽ जाइत छैक। चारू कात सँ विरोध आ अपमानक आगि मे जरि कऽ ओ आओर निखरि गेलीह। हुनका सरकारी नौकरी भऽ जाइत छनि। ओ अंत मे अपन पति केँ तलाक दऽ कऽ पिता-भाई सभ केँ परित्याग कऽ नव जीवनक आरम्भ करैत छथि। एहि सँ बुझना जाइत अछि जे मंगला एक आत्मानिर्भर महिला छथि।
How to cite this article:
मेघा झा. पद्मश्री उषाकिरण खानक ‘दूर्वाक्षत’ उपन्यासमे नारी-जागरण. Int J Appl Res 2022;8(10):01-03.