Vol. 3, Issue 5, Part K (2017)
जैन धर्म और उससे सम्बंधित महिला धार्मिक जीवन एवं तीर्थंकरों की महिला परिचर प्रतिमा
जैन धर्म और उससे सम्बंधित महिला धार्मिक जीवन एवं तीर्थंकरों की महिला परिचर प्रतिमा
Author(s)
बद्री नारायण माधव
Abstractजैन धर्म में महिला धार्मिक जीवन पर काफी प्रकाश डाला गया है। उस समय में महिला धार्मिक जीवन के साथ कौन-कौन से व्रत-उपवास करती थी, इन सभी बातों का पता चलता है। तप में रत नारियों को तपस्विनी, आर्यिका, श्राविका, कहा गया है। संभवतः ऐसी स्त्रियाँ जिनकी संसार में रुचि नहीं रहती थी, वे आर्यिका बन जाती थी। एक स्थान पर आर्यिकाओं की पंक्ति का उल्लेख आया है जिसमें वे ऐसे सुशोभित हो रही थी मानों चमकती हुई बिजलियों से आलिंगित शरदऋतु की मेघपंक्ति सुशोभित होती है। श्रीवर्धमान की सभा में एक स्थल पर 35 हजार आर्यिकाओं का उल्लेख है। ऋषभनाथ की सभा में तीन आर्यिकाओं के बैठने का उल्लेख मिलता है। महावीर भगवान के समवसरण में पैंतीस हजार आर्यिकाएँ मानी गयी हैं। आत्म तत्व को जानने वाली 50 हजार आर्यिकाओं का वर्णन मिलता है। ऐसे उल्लेख भी मिलते हैं जहाँ धर्म का पालन नहीं करने पर संसार में ही भ्रमण करना पड़ता था। स्वजनों की अनुमति से कन्याआंे के तप ग्रहण करने के भी उल्लेख है। यही कारण है कि इनमें नारी के धार्मिक जीवन पर अत्यधिक गहराई से प्रकाश डाला गया है।
How to cite this article:
बद्री नारायण माधव. जैन धर्म और उससे सम्बंधित महिला धार्मिक जीवन एवं तीर्थंकरों की महिला परिचर प्रतिमा. Int J Appl Res 2017;3(5):766-769.