Vol. 7, Issue 12, Part F (2021)
जिन लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नइ: विभाजन की त्रासद अभिव्यक्ति
जिन लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नइ: विभाजन की त्रासद अभिव्यक्ति
Author(s)
फुल कुमारी
Abstract
असगर वजाहत रचित यह नाटक हिन्दी के उन विशिष्ट नाटकों में सम्मिलित है, जो अपनी रचना के बाद लगातार मंचित और प्रशंसित होता रहा है। इस नाटक को मंचन हिन्दी ही नहीं गैर हिन्दी प्रदेशों में भी हुआ है। इसका कारण रहा है इसका शिल्प और कथ्य। सर्वज्ञात है कि किसी भी कला-माध्यम में कथ्य (वस्तु) और रूप का अन्योन्याश्रय संबंध होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि कला अपने कथ्य के अनुरूप अपना रूप ग्रहण करती है, वो श्रेष्ठ कला का उदाहरण मानी जाती है। तात्पर्य यह है कि कथ्य ही कला के रूप के निर्धारण का स्रोत हो तो वो स्थिति बेहतर मानी जाती है।
How to cite this article:
फुल कुमारी. जिन लाहौर नइ देख्या ओ जम्याइ नइ: विभाजन की त्रासद अभिव्यक्ति. Int J Appl Res 2021;7(12):447-449.