Vol. 9, Issue 3, Part A (2023)
स्त्री विमर्श के परिप्रेक्ष्य में मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास
स्त्री विमर्श के परिप्रेक्ष्य में मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास
Author(s)
किरन पूनिया
Abstract
स्त्री और पुरुष, समाज-निर्माण के दो आवश्यक अंग हैं, जो एक दूसरे के पूरक हैं तथा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है। हमारे प्राचीन धर्म ग्रन्थों में भी स्त्री और पुरुष को शिव और शक्ति के समान हैं। वे एक ही जीवसत्ता के दो अधूरे भाग हैं।
How to cite this article:
किरन पूनिया. स्त्री विमर्श के परिप्रेक्ष्य में मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास. Int J Appl Res 2023;9(3):01-05.