Vol. 9, Issue 5, Part C (2023)
ग्राम्य-सामाजिक परिवेश
ग्राम्य-सामाजिक परिवेश
Author(s)
डॉ. रजनी मैहला
Abstract
भारत एक ग्राम प्रधान देश होने की दृष्टि से यहाँ के प्रत्येक नागरिक को इस शास्त्र का ज्ञान होना अनिवार्य है। भारतीय विश्वविद्यालयों में यह विज्ञान अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए ताकि आज के युवक गांवों के जीवन से अपरिचित न रहें। अधिकांशतः यह देखा जाता है कि विश्वविद्यालयों की शिक्षा से उत्तीर्ण होकरकार्यकर्त्ता गांवों में जाते हैं तो वे सफल नहीं होते हैं विश्वविद्यालयों से निकले युवक ग्रामीण जिन्दगी से घृणा करते हैं। अतः ग्रामीण समाजशास्त्र का व्यावहारिक दृष्टिकोण भारत के लिए महत्त्वपूर्ण है। हमारी वर्तमान सरकार ग्राम विकास की ओर लगी हुई है। ऐसी स्थिति में इस प्रकार के ज्ञान की अत्यन्त आवश्यकता है। सरकार इस ओर विशेष प्रयत्नशील है। ग्रामीण क्षेत्रों की उन्नति के लिए इस विज्ञान का विस्तार अत्यधिक आवश्यक है।
How to cite this article:
डॉ. रजनी मैहला. ग्राम्य-सामाजिक परिवेश. Int J Appl Res 2023;9(5):181-189.