Vol. 2, Issue 4, Part L (2016)
लोकतंत्र: एक नैतिक मूल्य के रूप में
लोकतंत्र: एक नैतिक मूल्य के रूप में
Author(s)
डॉ. अंजना रानी
Abstract
अब्राहम लिंकन की यह परिभाषा कि“ Democracy is for the people, of the people, by the people"., बचपन से सभी को सुनने पढ़ने को मिला है। लेकिन जीवन के अनुभव बताते हैं कि ऐसा लोकतंत्र हमें कहीं दिखाई नहीं देता। आखिर क्या बात है कि लोकतंत्र की बात करने वाले दूसरों के साथ व्यवहार में अलोकतांत्रिक हो जाते हैं। जनता दिनोंदिन बद से बदतर स्थिति में पहुंचती जा रही हैं और जनप्रतिनिधियों के ऐशो-आराम की जिंदगी सुर्खियों में छाई रहती हैं। जनता गरीबी रेखा के नीचे संख्या बढ़ा रही हैं और करोड़पति जनप्रतिनिधियों की संख्या संसद और विधायिकाओं में बढ़ती जा रही हैं। ऐसी विरोधाभासी स्थिति में लोकतंत्र को ठीक से समझना जरूरी है। लोकतंत्र के संप्रत्यय को समझने की दिशा में यह मेरा शोध लेख एक विनम्र प्रयास है।
How to cite this article:
डॉ. अंजना रानी. लोकतंत्र: एक नैतिक मूल्य के रूप में. Int J Appl Res 2016;2(4):783-785.