Vol. 9, Issue 7, Part B (2023)
मिथिला के भू-राजनीतिक परिदृश्य का पुनरावलोकन
मिथिला के भू-राजनीतिक परिदृश्य का पुनरावलोकन
Author(s)
डॉ. संजय कुमार झा
Abstractमिथिला एक प्राचीन स्वायत्त प्रभूत्व सम्पन्न सार्वभौम राज्य था जो वर्तमान में भारत का एक समृद्ध सांस्कृतिक क्षेत्र है जिसमें बिहार राज्य के तिरहुत, दरभंगा, मुंगेर, कोसी, पूर्णिया और भागलपुर प्रमंडल तथा झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल के साथ-साथ नेपाल के तराई क्षेत्र के कुछ भाग भी शामिल हैं। समस्त मिथिला क्षेत्र में हिमालय से उतरने वाली नित्यवाही और बरसाती नदियों का जाल बिछा है। यहां सालाना वर्षा औसतन 1142 मि मी से अधिक होती है। कमला, बागमती, कोशी, करेह और अधवारा समूह की नदियों से उत्पन्न बाढ़ हर वर्ष लाखों लोगों के लिए तबाही लाती है। एक सामान्य उदाहरण है जहां जन एवं जल संसाधनों से समृद्ध क्षेत्र होते हुए भी इसका भरपूर उपयोग नहीं किया जा रहा है जो इस प्रदेश के लिए सदा ही प्राकृतिक तबाही और विपदा का मूल सबब रहा है और अंततः लोगों को अभाव एवं गरीबी में जीवन यापन करने अथवा सामान्य जन को बाहर पलायन के लिए मजबूर करती है । राजनीतिक शक्तियों ने मिथिला की भलाई नहीं की। इसी वजह से देश की आजादी के 75 साल के बाद भी मिथिला से बाढ़ का निदान नहीं हो पाया एवं लोगों का पलायन होता रहा। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को छोड़कर किसी राजनीतिक नेता ने मिथिला पर ध्यान नहीं दिया। सबों ने अपने अपने हित के लिए काम किया। आज नई पीढ़ी को मिथिला राज्य के आंदोलन से जुड़ना चाहिए।
How to cite this article:
डॉ. संजय कुमार झा. मिथिला के भू-राजनीतिक परिदृश्य का पुनरावलोकन. Int J Appl Res 2023;9(7):85-88.