Vol. 9, Issue 1, Part F (2023)
भारती के साहित्य में मानवीय मूल्य
भारती के साहित्य में मानवीय मूल्य
Author(s)
डॉ. विजय कुमार
Abstractष्गुनाहों का देवताष् उपन्यास ;1949द्ध से प्रसिद्धि पाने वाले धर्मवीर भारती हिन्दी के सफल नाटककारए कहानीकारए आलोचक और कवि भी हैं। ष्सूरज का सातवां घोड़ाष् ;1952द्ध उनका दूसरा उपन्यास है। इसमें कथा कहने की जो शैली है वह तो निराली है ही उसका प्रतिपाद्य भी बड़ा महत्वपूर्ण और प्रासांगिक है। ष्ग्यारह सपनों का देशष् और ष्प्रारंभ व समापनश् उनके अन्य उपन्यास हैं।
मुर्दों का गाँवए स्वर्ग और पृथ्वीए चाँद और टूटे हुए लोगए बंद गली का आखिरी मकानए आदि उनके कहानी संग्रह हैं। धर्मवीर भारती नयी आन्दोलन के प्रमुख स्तंभ हैं और उनकी कहानियों में आधुनिकता झलकती है।
ठेले पर हिमालयए पश्यन्तीए कहनीदृअकहनीए कुछ चेहरे कुछ चिन्तनए शब्दिताए मानव मूल्य और साहित्य उनके निबंध संग्रह हैं। ष्मानव मूल्य और साहित्यष् नामक निबंध संग्रह वैचारिकी से परिपूर्ण है और उनके साहित्य के मूल्यांकन और प्रासंगिकता के संदर्भ में यह विशेष रूप से उपयोगी है।
वे विचाराधारा से मार्क्सवादी थे और उन्होंने प्रगतिवाद रू एक समीक्षा लिखकर प्रगतिवाद के प्रति अपने दृष्टिकोण को सुन्दर ढंग से स्पष्ट किया है।
ठंठा लोहाए सात गीत वर्षए कनुप्रियाए सपना अभी भीए आद्यन्त और देशांतर उनके काव्य संग्रह हैं। भारती नयी कविता के प्रमुख स्तंभ हैं और इस हैसियत से वे अज्ञेय द्वारा संपादित ष्दूसरा सप्तकष् के प्रमुख कवि भी हैं। धर्मवीर भारती की प्रसिद्धि कारण उनका काव्य नाटक ष्अंधायुगष् है जो आधुनिक युग की बड़ी समस्या .युद्ध और मानव भविष्य पर केन्द्रित है।
धर्मवीर भारती एक मानवतावाद साहित्यकार हैं और उनके संपूर्ण चिन्तन के केन्द्र में मानव और उसका भविष्य है।
How to cite this article:
डॉ. विजय कुमार. भारती के साहित्य में मानवीय मूल्य. Int J Appl Res 2023;9(1):465-468.