Vol. 7, Issue 8, Part F (2021)
मानव जीवन में योग: आध्यात्मिकता एवं यांत्रिकता
मानव जीवन में योग: आध्यात्मिकता एवं यांत्रिकता
Author(s)
सोनू निठारवाल
Abstract‘योग‘ भारतीय संस्कृति की अनुपम धरोहर हैं जो मानव जाति को विरासत के रूप में मिली हैं। भारत विविधताओं से संपन्न देश हैं यहां अतुलनीय भिन्नताएं पाई जाती हैं। योग की परंपरा अत्यंत प्राचीन हैं और इसकी उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले हुई थीं। ऐसा माना जाता हैं कि सभ्यता के विकास के समय भी योग विद्यमान था अर्थात् प्राचीनतम धर्म या आस्थाओं के जन्म लेने के पूर्व योग का जन्म हो चुका था । योग विद्या में शिव को ‘आदि योगी‘ तथा ‘आदि गुरु‘ माना जाता हैं। भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि- मुनियों से ही योग का प्रारंभ माना गया हैं यथा कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसका विस्तार किया तथा महर्षि पतञ्जलि ने इसे सुव्यवस्थित रूप प्रदान किया। 1700 ऋ1900 ईस्वी के बीच की अवधि को आधुनिक काल के रूप में माना जाता हैं जिसमें महान् योगाचार्यों - रमण महर्षि, रामकृष्ण परमहंस, परमहंस योगानंद, स्वामी विवेकानंद आदि ने योग के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं। समकालीन युग में स्वास्थ्य के परिरक्षण, अनुरक्षण और संवर्धन के लिए योग अति महत्वपूर्ण हैं। मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो निरंतर अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियों से ग्रसित होता जा रहा हैं। उत्तम स्वास्थ्य एवं आनंद की स्थापना करना मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार हैं। ऋषि-मुनियों ने शास्त्रों का गहन अध्ययन एवं चिंतन करके स्वास्थ्य को अच्छा बनाने, रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने, शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति, एवं आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करने, दीर्घायु तथा स्वस्थ जीवन जीने के लिए योग को सशक्त माध्यम बताया हैं। ‘अध्यात्म‘ के द्वारा मनुष्य अपने जीवन को सफल व सुंदर बनाते हुए अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर सकता हैं। जीवन, चेतना और पदार्थ तीनों को साथ लेकर चलने वाला विज्ञान योग हैं। विज्ञान और अध्यात्म के बीच सेतु का काम योग करता हैं। जीवात्मा परम सत्ता ब्रह्मांडीय चेतना का समग्र हैं और यह सर्वोच्च ब्रह्म की दिव्य क्षमताओं के समस्त वैभव में पूर्ण रूप से विराजमान हैं। भारत में योग का स्वरूप प्राचीन हैं। अतः योगधर्म ही मनुष्य के लौकिक (यांत्रिकता ) और पारलौकिक कल्याण और मुक्तिमार्ग का एकमात्र पथ हैं।
How to cite this article:
सोनू निठारवाल. मानव जीवन में योग: आध्यात्मिकता एवं यांत्रिकता. Int J Appl Res 2021;7(8):490-493.