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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

IMPACT FACTOR (RJIF): 8.4

Vol. 9, Issue 8, Part D (2023)

मानवीय अस्तित्व हेतु अपरिहार्य जैव विविधता संरक्षण

मानवीय अस्तित्व हेतु अपरिहार्य जैव विविधता संरक्षण

Author(s)
Himani Sharma
Abstract
जैव विविधता के बिना पृथ्वी पर मनुष्य का जीवन अकल्पनीय है। जैव विविधता धरती पर जीवन की विविधता एवं परिवर्तनशीलता है जो कि प्रजातियों में, प्रजातियों के मध्य एवं प्रजातियों की पारिस्थितिक विविधता को भी सम्मिलित करती है। जैव विविधता का वितरण पृथ्वी पर सब जगह एक समान रूप से नहीं है, भूमध्य रेखा के समीप उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में विश्व की समस्त जैव विविधता का 90 प्रतिशत पाया जाता है, इसी प्रकार पश्चिमी प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में, जहां सर्वाधिक समुद्र पृष्ठ तापमान होता है, समुद्री जैव विविधता सर्वाधिक मात्रा में पाई जाती है। मनुष्य द्वारा जैविक संसाधनों के अत्यधिक दोहन, जलवायु परिवर्तन तथा जल व वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण जैव विविधता अत्यधिक प्रभावित हो रही है। जीव-जंतुओं एवं वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां उनके आवासों के नष्ट होने से संकटापन्न स्थिति में आ गई हैं। विभिन्न अध्ययन दर्शाते हैं कि जैव विविधता के लिए जीवो के अनुवांशिक स्त्रोत, समुदाय व प्रजातीय विविधता महत्वपूर्ण है, जिसके फलस्वरूप अनुवांशिक, सामुदायिक व प्रजातीय स्तर पर इन प्रजातियों का संरक्षण आवश्यक हो जाता है। पारितंत्र को संतुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक पारिस्थितिक प्रक्रियाओं, जीवनोपयोगी व्यवस्था को सुरक्षित करने के लिए जैव विविधता को संवर्धित करने हेतु वैश्विक, राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।
Pages: 282-285  |  309 Views  115 Downloads


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How to cite this article:
Himani Sharma. मानवीय अस्तित्व हेतु अपरिहार्य जैव विविधता संरक्षण. Int J Appl Res 2023;9(8):282-285. DOI: 10.22271/allresearch.2023.v9.i8d.11224
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