Vol. 9, Issue 7, Part B (2023)
अज्ञेय के यात्रा-साहित्य का वर्गीकरण
अज्ञेय के यात्रा-साहित्य का वर्गीकरण
Author(s)
नंदिता साहू, डाॅ. आनन्द कुमार सिंह
Abstract
हिन्दी यात्रा-साहित्य की विकास-धारा के प्रसंग में राहुल-युग के बाद की कालावधियों हिन्दी को अजय-युग कहा जा सकता है। ‘हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास‘ के लेखक बच्चन सिंह ने इसको ‘उत्तर-स्वच्छन्दतावाद-युग कहा है और कोष्ठ में ‘1938 अद्यतन‘ लिखकर इस युग को एक समय-सीमा के अन्तर्गत रखा है। इतिहासकार ने प्रवृत्ति के आधार पर इस काल के नामकरण और समारम्भ सम्बन्धी प्रश्नों को उठाते हुए इसे ‘प्रगति-प्रयोग‘ काल कहना उचित समझा है।1 ज्ञातव्य है कि विशेषतः प्रवृत्ति और विचारधारा के इतिहास में, स्वभावतः संक्रान्ति काल की स्थिति विकसित होती है। इसलिए काल-विभाजन एक अर्थ में अध्ययन की सुविधा के निमित्त एक परम्परागत पद्धति के सदृश है। वस्तुतः राहुल-युग के बाद जो संक्रान्ति काल की स्थिति उत्पन्न हुई, उसमें स्वच्छन्दतावाद, प्रगतिवाद और प्रयोगवाद के साहित्यिक प्रवृत्तिमूलक आन्दोलनों की स्थिति विकसित हुई। इसलिए प्रायः साहित्यकार उक्त सन्दर्भ में काल के नामकरण के प्रसंग में समन्वय की प्रक्रिया से भी प्रेरित होते हैं, लेकिन साहित्य की विभिन्न कालावधियों में ऐसा व्यक्तित्व का प्रादुर्भाव होता है जो अपने सोच, कृतित्व और लेखन के माध्यम से अपने काल की विकासधारा को नेतृत्व देता है। इस क्रम में यह भी उल्लेखनीय है कि ऐसे व्यक्तित्व कभी-कभी अपनी मान्यताओं को भूलते हुए भी कालावधि की विभिन्नता और विखराव के प्रति समन्वयवादी मानसिकता से प्रेरित होकर सम्बद्ध काल-धारा में उल्लेखनीय पड़ाव के समान वैचारिक स्थल सिद्ध होते हैं।2
How to cite this article:
नंदिता साहू, डाॅ. आनन्द कुमार सिंह. अज्ञेय के यात्रा-साहित्य का वर्गीकरण. Int J Appl Res 2023;9(7):136-138.