Vol. 10, Issue 3, Part C (2024)
राष्ट्र-निर्माता दयानन्द की शिक्षा पद्धति के अनुकरणीय तत्व
राष्ट्र-निर्माता दयानन्द की शिक्षा पद्धति के अनुकरणीय तत्व
Author(s)
अनामिका
Abstract
किसी भी राष्ट्र की उन्नति देश के प्राकृतिक संसाधनों के अतिरिक्त विज्ञान व तकनीकी के उच्च स्तर पर निर्भर करती है परन्तु देश के नागरिकों के उच्च मूल्यों के अभाव में देश के लिए अपनी प्रगति अक्षुण्ण रख पाना निश्चित रूप से कठिन है। आज हम वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रौद्योगिक दृष्टि से उन्नत विश्व में रह रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने संपूर्ण ब्रह्मांड को एक सूत्र में बाँध दिया है। ऐसे समय में मूल्यों पर आधारित शिक्षा विद्यार्थियों के आध्यात्मिक, नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए एक पसुनिश्चित आधारशिला प्रदान करती है। एक विद्यार्थी के शिक्षा क्षेत्र में मूल्यपरक व्यवहारिक अनुभव आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की नई उड़ान को संभव बनाते हैं।1 राष्ट्र निर्माता दयानन्द की मूल्यपरक शिक्षा पद्धति में विविध विषयों का समावेश किया गया है। जिसमें सदाचार, विद्या, अनुराग, शिष्टाचार जैसे सद्गुणों को, संगीत आदि ललित कलाओं, शरीर- विज्ञान, पदार्थ-विज्ञान आदि विज्ञानों, कला-कौशल और राष्ट्रीय भावना, समाज-सुधार एवं लोकोपकार जैसे सद्भावों को समुचित स्थान दिया गया है।
How to cite this article:
अनामिका. राष्ट्र-निर्माता दयानन्द की शिक्षा पद्धति के अनुकरणीय तत्व. Int J Appl Res 2024;10(3):170-175.