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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 10, Issue 5, Part B (2024)

लंबी कविता 'एकलव्य' में अभिव्यक्त गुरु-शिष्य संबन्ध

लंबी कविता 'एकलव्य' में अभिव्यक्त गुरु-शिष्य संबन्ध

Author(s)
Dr. Usha Kumari JB
Abstract
भारतीय संस्कृति की गरिमा बढाने में ' एकलव्य ' की कथा बहुत महत्वपूर्ण और सहायक होती है। एकलव्य की गुरुभक्ति, कर्त्तव्यपरायणता और कठिन परिश्रम सबको मानवीय मूल्यों का पाठ देने योग्य है। इसलिए आधुनिक काल में भी एकलव्य की कथा को महत्वपूर्ण स्थान है। अपने आत्म विश्वास के बल पर समस्याओं का सामना करके आगे जीने की प्रेरणा इस से सबको मिलती है। ' एकलव्य ' एक लंबी कविता है। डॉ. शोभनाथ पाठक ने इसकी रचना की है। आजकल मानव-समाज में जितनी प्रगति हुई है, तो भी एकलव्य की कथा की प्रासंगिकता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। हमारे धर्म ग्रंथ 'महाभारत ' में एकलव्य की कथा आती है। एकलव्य के गुरु कौरव-पाण्डव के राजगुरु द्रोणाचार्य है।
Pages: 109-115  |  62 Views  35 Downloads


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How to cite this article:
Dr. Usha Kumari JB. लंबी कविता 'एकलव्य' में अभिव्यक्त गुरु-शिष्य संबन्ध. Int J Appl Res 2024;10(5):109-115.
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