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International Journal of Applied Research
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ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

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Vol. 2, Issue 10, Part D (2016)

रमाकांत रथ की राधा

रमाकांत रथ की राधा

Author(s)
डॉ. उत्तम पटेल
Abstract
राधा और श्रीकृष्ण भारतीय संस्कृति और साहित्य के रग-रग में समाये हुए पात्र हैं। राधा तो श्रीकृष्ण की भक्ति के प्रतीक के रूप में अवतीर्ण होती है। संस्कृत में जयदेव ने गीत-गोविन्दम् के द्वारा श्रीकृष्ण भक्ति प्रवाहित की। आदिकाल में मैथिल कौकिल विद्यापति ने राधा-कृष्ण के स्वच्छन्द श्रृंगारी चित्रण किया। भक्ति काल में सगुण भक्ति में एक धारा श्रीकृष्ण भक्त कवियों की रही। प्रेमलक्षणा भक्ति के लिए सूरदास ने राधा का वर्णन किया। घनानंद और मीरा भी श्रीकृष्ण के श्याम रंग में डूब गए। रीतिकाल में राधा और कृष्ण सामान्य नायक-नायिका बन कर रह गए। किन्तु आधुनिक काल में ‘प्रियप्रवास’, ‘कनुप्रिया’ आदि काव्यों के माध्यम से पुनः अवतरित हुई। राधा-श्रीकृष्ण के चरित्र से पूरा भारतीय साहित्य आलोडित हुआ। उडिया के प्रसिद्ध कवि रमाकांत रथ भी इससे बच न सके। अतः उन्होंने ‘श्रीराधा’ के रूप में प्रेम दीवानी राधा को एक नवीनतम व्यक्तित्व प्रदान किया।
Pages: 216-219  |  2247 Views  189 Downloads


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How to cite this article:
डॉ. उत्तम पटेल. रमाकांत रथ की राधा. Int J Appl Res 2016;2(10):216-219.
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