Vol. 3, Issue 5, Part L (2017)
स्त्री अस्मिता का मानवतावादी स्वरूप
स्त्री अस्मिता का मानवतावादी स्वरूप
Author(s)
बबिता
Abstract
समाज और साहित्य में मानवतावाद की बात जब भी होती है तो आदर्श हमेशा उसके केन्द्र में होता है। लोगों को यथार्थ से अनभिज्ञ बनाए रखने और अपने विशेषाधिकारस्वरूप दुर्बलों का शोषण ज़ारी रखने का वर्चस्ववादियों के पास यह सबसे मजबूत हथियार है। भारतीय स्त्रियाँ भी सदियों से इसी आदर्श षड््यन्त्र का शिकार रही हैं। लेकिन अब जब इन्होंने इस शोषक षड्यन्त्र के विरुद्ध साहित्यिक अभिव्यक्ति की शुरुआत की है तो सामन्तवादी-पुरुषवादी शक्तियों द्वारा इसे ही अनैतिक और अमानवीय सिद्ध करने का षड्यन्त्र किया जा रहा है। जबकि सच यह है कि सम्पूर्ण अस्मितामूलक साहित्य सैद्धान्तिक और व्यावहारिक दोनों दृष्टियों से मानवतावादी है।
How to cite this article:
बबिता. स्त्री अस्मिता का मानवतावादी स्वरूप. Int J Appl Res 2017;3(5):830-832.