Vol. 3, Issue 7, Part N (2017)
भारत में दलितों की स्थिति
भारत में दलितों की स्थिति
Author(s)
Pooja
Abstractआज भारत को आजाद हुए काफी समय बीत चुका है। फिर भी हमारे समाज में दलितों को तुच्छ व हीन दृष्टि से देखा जाता है। दलित व्यक्ति आज भी आजादी के लिए रोता है। वह कहता है, चाहे भारत आज आजाद हो चुका है लेकिन दलित अब भी गुलाम हैं। वह सवर्णों के शिकार होते जा रहे हैं, उन्हें दिन-प्रतिदिन अनेकों समस्याओं को सहना पड़ता है। सामाजिक दृष्टि से देखा जाए तो दलित हर तरह के सुख-सुविधाओं, उल्लास, समानता, स्वतन्त्रता, मौलिक अधिकार व कर्तव्यों आदि सब से अछूते हैं। हर क्षेत्र में उनके मान-सम्मान को ठेस पहुँचती आई है। भारतीय समाज की लोक-तांत्रिक व्यवस्था में अपनी आस्था रखने वाले हर व्यक्ति के लिए समानता, स्वतन्त्रता, बंधुता और सामाजिक लोकतंत्र का प्रमुख अधिकार है। वह मान-सम्मान के साथ कही भी रह सकते हैं।
How to cite this article:
Pooja. भारत में दलितों की स्थिति. Int J Appl Res 2017;3(7):969-970.