Vol. 3, Issue 7, Part O (2017)
अध्यापक शिक्षा में प्रशिक्षुता कार्यक्रमः प्रासंगिकता एवं चुनौतियाॅ
अध्यापक शिक्षा में प्रशिक्षुता कार्यक्रमः प्रासंगिकता एवं चुनौतियाॅ
Author(s)
कविता मित्तल, दिब्या राय
Abstract
अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम एक व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम है। जो अन्य अकादमिक शिक्षा कार्यक्रमों से बिल्कुल भिन्न है। शिक्षकों में तकनीकी कुशलता, वैज्ञानिक चेतना, संसाधन सम्पन्नता तथा नवाचारिता के साथ सांस्कृतिक चेतना एवं मानवता बोध का समन्वयात्मक विकास करना अध्यापक शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है। यदि भारतीय विभिन्न नीतिगत दस्तावेजों के झरोखे से देखा जाए तो अध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता के प्रति चिन्ता एवं उसमें सुधार के सुझावों एवं सतत् प्रयासों को देखा जा सकता है। भारत में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग (1948-49), माध्यमिक शिक्षा आयोग (1952-53), शिक्षा आयोग (1964-66), चटोपाध्याय समिति (1983-85) की रिपोर्ट में अध्यापक शिक्षा के विस्तार, गुणवत्ता सुधार, आंकलन व प्रत्ययन के संदर्भ में चिन्तन करते हुए अनेक सुझाव दिये गये।एन.सी.टी.ई. द्वारा सरकारी अधिसूचना लाकर वर्ष 2014 में बी.एड. कार्यक्रम को द्विवर्षीय घोषित कर दिया गया। इस द्विवर्षीय पाठ्यक्रम में न केवल अवधि बढ़ी है बल्कि नये घटकों को सम्मिलित करते हुए अध्यापक शिक्षा को प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम भी उठाया गया। साथ ही सर्वाधिक अभिनव रूप में माध्यमिक स्तरीय अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘प्रषिक्षुता ;प्दजमतदेीपचद्ध’ को समाहित किया गया है। अध्यापक शिक्षा में प्रशिक्षुता कार्यक्रम का समाॅकलन इस उद्देश्य से किया गया है कि प्रशिक्षुओं में क्षेत्र लगाव जागृत कर उनके अनुकूल कार्यप्रदर्शन को अत्यधिक सुधारा जा सके। परन्तु वर्तमान समय में प्रशिक्षुता कार्यक्रम के क्रियान्वयन पक्ष से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाॅं भी उभरकर सामने आ रही हैै। इन चुनौतियों पर भी विचार करने की आवश्यकंता है। जिससे इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन को और बेहतर बनाया जा सके ताकि प्रशिक्षु और व्यावसायिक क्षेत्र दोनो ही लाभान्वित हो सके।
How to cite this article:
कविता मित्तल, दिब्या राय. अध्यापक शिक्षा में प्रशिक्षुता कार्यक्रमः प्रासंगिकता एवं चुनौतियाॅ. Int J Appl Res 2017;3(7):1037-1040.