Vol. 4, Issue 1, Part C (2018)
सीधी जिले के कृषकों की समस्त वित्तीय संस्थाओं से प्राप्त वित्तीय सहायता का अध्ययन
सीधी जिले के कृषकों की समस्त वित्तीय संस्थाओं से प्राप्त वित्तीय सहायता का अध्ययन
Author(s)
डाॅ. प्रभाकर मिश्र
Abstract
व्यापारिक बैंको द्वारा कृषि क्षेत्र को वित्त प्रदान करने की अवहेलना की जाती थी। सन् 1930 में केन्द्रीय बैंकिंग कमेटी ने यह स्पष्ट किया था कि व्यापारिक बैंकों को ऋण व्यवस्था किसानों की ओर चलते-चलते धीमी पड़ जाती है। सन् 1954 में अखिल भारतीय ग्रामीण साख सर्वेक्षण कमेटी ने कृषि वित्त में व्यापारिक बैंकों के योगदान को नगण्य पाया था। इनके द्वारा कृषि वित्त के 0.9 प्रतिशत भाग की पूर्ति की गई थी। 1962 के अन्त में अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण एवं सर्वेक्षण कमेटी ने ग्रामीण साख में व्यापारिक बैंकों के योगदान को 0.6 प्रतिशत व्यक्त किया। सन् 1968-69 में व्यापारिक बैंकों द्वारा कृषि वित्त व्यवस्था में 5.3 प्रतिशत का योगदान दिया गया था। सन् 1966-67 में नवीन कृषि रणनीति के प्रतिपादन के पश्चात 19 जुलाई 1969 में 14 व्यापारिक बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया, जिससे व्यापारिक बैंकों को कृषि वित्त प्रदान करने की ओर प्रोत्साहित किया जा सके। 15 अप्रैल 1980 को 6 बैंकों का और राष्ट्रीकरण किया गया।
How to cite this article:
डाॅ. प्रभाकर मिश्र. सीधी जिले के कृषकों की समस्त वित्तीय संस्थाओं से प्राप्त वित्तीय सहायता का अध्ययन. Int J Appl Res 2018;4(1):163-166.