Vol. 3, Issue 6, Part G (2017)
महादलित जाति के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक विकास की समस्याए
महादलित जाति के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक विकास की समस्याए
Author(s)
डाॅ॰ मो॰ तालीब
Abstract
स्वतंत्रता के बाद भारत ने एक उदार लोकतंत्र को अपनाया जिसका एक लिखित संविधन है और संसदीय प्रणाली में अनुसूचित जाति और दलित कहे जाने वाले ऐतिहासिक रूप से वंचित वर्ग को विशिष्ट व्यक्तिगत और सामूहिक अधिकार दिये गए। देश की एक वृद्ध सामाजिक बदलाव के ज़रिये सम्पन्न समाज के लोकतांत्रिक रूपान्तरण की प्रतिबद्धता भारतीय विकास नीति का अहम् हिस्सा रहा है। हालांकि छः दशक से भी ज़्यादा लम्बी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बावजूद दलित अभी भी हाशिये पर है और वंचना का शिकार है, जिनके मूल में असमानता और समाजिक भेद-भाव है। इन असमानताओं और भेद-भाव को मिटाने के लिए भारतीय सरकार द्वारा बहुत सारा प्रयत्न किए गए परंतु इन असमानताओं और भेद-भाव के समस्या के निवारण का कोई खास असर नहीं दिखता यह पत्र में महादलितों से जुड़े सरकारी नीतियों समस्याओं एवं समाधानों का विश्लेषण करने का प्रयास करेगा।
How to cite this article:
डाॅ॰ मो॰ तालीब. महादलित जाति के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक विकास की समस्याए. Int J Appl Res 2017;3(6):474-479.