Vol. 3, Issue 8, Part K (2017)
मंडल और कमंडल युग में कबीर
मंडल और कमंडल युग में कबीर
Author(s)
डॉ0 अनुज कुमार तरुण
Abstract
बीसवीं सदी का अंतिम दशक विश्वव्यापी परिवर्तनों का काल है। इन विश्वव्यापी घटनाओं का भारतीय समाज पर प्रभाव पड़ा। इस काल में भारत के अन्दर भी ऐसी ऐतिहासिक घटनाएँ घटती हैं, जिनका प्रभाव भारतीय समाज पर काफी गहरा पड़ता है। इस समय में एक के बाद एक कई ऐसी महत्वपूर्ण घटनाएँ घटित होती हैं जो हमारी सोच के पारंपरिक ढांचे को तोड़कर हमें एक नयी दुनिया के सामने ला खड़ा कर देती है। इन घटनाओं में सबसे महत्वपूर्ण घटनाएँ थीं - 1990 में वी.पी. सिंह सरकार द्वारा मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू किये जाने की घोषणा, 1991-92 में आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत और 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस। मंडल कमीशन की सिफारिशों का लागू किया जाना समाज में मंडलीकरण यानी जाति के आधार पर समाज के राजनीतिकरण का मार्ग प्रशस्त करता है। बाबरी मस्जिद के विध्वंस ने देश में साम्प्रदायिकता को विकराल रूप में खड़ा कर दिया। इन घटनाओं पर गहन संवाद करते हुए जब कारण और निदान के लिए अपनी दृष्टि दौड़ते हैं तो कबीर दिखाई देते हैं। अर्थात मंडल और कमंडल जैसे राजनीतिक एवं सामाजिक संवेदनशील समस्याओं के समय में कबीर को नई पीढ़ी के सामने समझने और समझाने की जरूरत है, क्योंकि वर्तमान परिवेश में कबीर उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितना मध्यकालीन समाज के लिए थे।
How to cite this article:
डॉ0 अनुज कुमार तरुण. मंडल और कमंडल युग में कबीर. Int J Appl Res 2017;3(8):770-772.