Vol. 6, Issue 6, Part F (2020)
भारत की सामाजिक व आर्थिक बदलाव में शिक्षा की भूमिका
भारत की सामाजिक व आर्थिक बदलाव में शिक्षा की भूमिका
Author(s)
डाॅ. अशोक कुमार
Abstract
मानव की प्रवृत्ति बदलाव है। वह परम्परावादी और गत्यात्मक दोनों ही है। एक तरफ तो वह अपने पारम्परिक मूल्यों, नियमों आदि से चिपका रहता है दूसरी तरफ वह नये दृष्टिकोण, तकनीकों और मूल्यों का स्वागत भी करता है। यदि सामाजिक बदलाव नहीं होते तो समाज आज भी प्रागैतिहासिककाल से बाहर नहीं निकल पाता। मानव की प्रकृति बदलाव करना है। वैज्ञानिक विकास और शिक्षा सामाजिक बदलाव के दों सबसे बड़े एजेण्ट है। सामाजिक बदलावों का जन्म व्यक्ति के अन्दर उत्पन्न असन्तुष्टि होती है। वह एक कार्य से ऊब जाने पर बदलाव चाहता है। समाज व्यक्तियों का वह समूह होता है जो सामान्य उद्देश्यों, मूल्यों और सम्बन्धों के कारण एक स्थान पर रहने के लिए बाध्य हैं। उनमें आपसी सहयोग पाया जाता है। समाज उस समय प्रगति करता जब उसमें पूरी तरह शान्ति और समृद्धि होती है। समाज एक हमेशा बदलने वाली प्रक्रिया है। इसके बने रहने के लिए इसमें स्थिरता की आवश्यकता होती है।
How to cite this article:
डाॅ. अशोक कुमार. भारत की सामाजिक व आर्थिक बदलाव में शिक्षा की भूमिका. Int J Appl Res 2020;6(6):364-366.