Vol. 4, Issue 2, Part D (2018)
समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ते घरेलु हिंसाः एक अभिशाप
समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ते घरेलु हिंसाः एक अभिशाप
Author(s)
विभा बाला
Abstract
आज महिलायें कहीं भी सुरक्षित नही है, न घर पर और न घर के बाहर। वे घर में घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, दहेज हत्या एवं लैगिंक शोषण की शिकार है तो घर के बाहर कार्यस्थल पर यौन शोषण, सार्वजनिक स्थानों पर छेड़छाड़, यौन हमले, बलात्कार, अपहरण, आदि अपराधों की शिकार है। उनके विरूद्ध पारित यह अपराध समाज में उनके लिये भय एवं असुरक्षा का वातावरण निर्मित करते है जो उनके स्वतंत्र बर्हिगमन को बाधित करता है। यहाँ एक बात और स्पष्ट होती है कि महिलायें इन अपराधों की शिकार सिर्फ इसलिये होती है क्योकि वे महिलायें है। महिलाओं के विरूद्ध पारित ये विशिष्ट लिंग आधारित अपराध उनके विकास एवं सशक्तिकरण को बाधित करते है क्योंकि इनसे समाज में भय और असुरक्षा का माहौल निर्मित होता है।
How to cite this article:
विभा बाला. समाज में महिलाओं के प्रति बढ़ते घरेलु हिंसाः एक अभिशाप. Int J Appl Res 2018;4(2):238-240.