Vol. 4, Issue 1, Part F (2018)
हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह वीर महाकाव्य राष्ट्रीय नवजागरण का संदेश
हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह वीर महाकाव्य राष्ट्रीय नवजागरण का संदेश
Author(s)
सीता कुमारी
Abstract
‘श्री श्याम नारायण पाण्डेय’ ने ‘हल्दीघाटी’ में मध्यकालीन भारत के मुगल शासक अकबर एवं राणा प्रताप के बीच ‘हल्दीघाटी’ के मैदान में होने वाले महासमर की घटनाओं को लक्ष्यकर इस महाकाव्य का निर्माण किया है। ऐतिहासिक घटनाएं हर नयी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायिनी सिद्ध होती है। ‘आरसी प्रसाद सिंह’ ने ‘वीर कुँअर सिंह’ महाकाव्य की रचना कर हिन्दी साहित्य जगत् में नयी चेतना जागृत करने का कुशल प्रयास किया है जिससे स्वदेश की पुरातन निष्प्राण मृत्तिका को नूतन बनाने का स्वस्थ संदेश मिला और भविष्य में मिलता रहेगा। ‘महाराणा प्रताप’ एवं ‘वीर कुँअर सिंह’ दोनों हमारे राष्ट्र-पुरुष हैं। बिहार के बाबू ‘वीर कुँअर सिंह’ की आर्थिक हालत नाजुक थी, उन्हें सभी अधीनस्थ कर्मचारियों ने अंग्रजों से युद्ध नहीं करने की सलाह दी थी। लेकिन उस वीरवर ने अस्सी वर्ष की उम्र में भी अंग्रेजों से लोहा लिया और अंत में उनकी पराजय हुई। महाराणा प्रताप ने सर्वाधिक शक्तिशाली मुगल शासक अकबर से लोहा लिया। दोनो महाकाव्यों के कथानक वस्तुतः दो वीरों की जीवन गाथाएँ हैं, जिसे पढ़ने के बाद मुर्दे भी प्राणवंत हो जाते है तथा क्षार शोले। इन रचनाओं को समाजिक हित के लिए दर्शाया गया है।
How to cite this article:
सीता कुमारी. हल्दीघाटी एवं वीरवर कुँअर सिंह वीर महाकाव्य राष्ट्रीय नवजागरण का संदेश. Int J Appl Res 2018;4(1):442-444.