Vol. 1, Issue 7, Part N (2015)
नागार्जुन की कविताओं में राजनीतिक व्यंग्य
नागार्जुन की कविताओं में राजनीतिक व्यंग्य
Author(s)
गुंजन कुमारी
Abstract
हमारे देष की राजनीति के क्षेत्र में चलने वाले उथल-पुथल के कारण पिसती हुई जनता की स्थिति को नागार्जुन ने अपनी कविताओं में व्यंग्य के माध्यम से उजागर किया है। नागार्जुन को भारत की राजनीति के ठेकेदारो का दो मुँहापन सहन नहीं होता है और वह राजनीति के क्षेत्र में खुलकर सामूहिक एवं व्यक्तिगत रूप से सभी पर व्यंग्यबाण चलाते हैं। इस आलेख में एक ओर नागार्जुन की रचनाओं के कुछ पंक्तियाँ संदर्भ के रूप में प्रस्तुत करते हुए उनके द्वारा राजनीति के दलालों, नेताओं आदि का पोल खोलने वाले व्यंग्य का उल्लेख किया गया है तो दूसरी ओर राजनेताओं के द्वारा सताये जाने वाले किसान, मजदूर के व्यथा का भी वर्णन है। नागार्जुन का राजनीतिक व्यंग्य ही उनको एक अलग पहचान देने का कार्य किया है।
How to cite this article:
गुंजन कुमारी. नागार्जुन की कविताओं में राजनीतिक व्यंग्य. Int J Appl Res 2015;1(7):837-839.