Vol. 3, Issue 1, Part L (2017)
गृह-प्रबंधन में कामकाजी महिलाओं की दोहरी भूमिका
गृह-प्रबंधन में कामकाजी महिलाओं की दोहरी भूमिका
Author(s)
अंजली कुमारी
Abstract
कामकाजी महिलाओं को दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ता है- घरेलू एवं बाह्य। अर्थात् उन्हें अपने घर-परिवार, रिश्ते-नाते के साथ-साथ ऑफिस सबको ठीक से चलाना पड़ता है और इन सब में प्रमुख है दोनों के बीच संतुलन, क्योंकि किसी एक पक्ष को गलती से भी इग्नोर करने पर जीवन की गाड़ी डगमगाने लगती है। आजादी के बाद नारी शिक्षा की स्थिति में सुधार के कारण उच्च मध्यवर्गीय के साथ-साथ आम शहरी मध्यवर्गीय परिवारों की नारियाँ भी शिक्षित हुई और उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश की। कई महिलाओं ने उसमें सफलता भी प्राप्त की, लेकिन पितृवादी सोच हमेशा उनके आड़े आती है, जो उनकी परेशानियों का कारण बनती है। घर के बाहर की समस्या एवं ऑफिस में अभी भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या कम है। फलतः वे पूरी तरह से सहज नहीं हो पाती हैं।
How to cite this article:
अंजली कुमारी. गृह-प्रबंधन में कामकाजी महिलाओं की दोहरी भूमिका. Int J Appl Res 2017;3(1):945-947.