Vol. 6, Issue 2, Part E (2020)
कामकाजी महिलाएँ एवं पारिवारिक समायोजन की समस्या: एक अध्ययन
कामकाजी महिलाएँ एवं पारिवारिक समायोजन की समस्या: एक अध्ययन
Author(s)
सारथी कुमारी
Abstractमहिलाएँ सदैव हमारी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पारिवारिक व्यवस्थाओं का आधार रही है। आज की परिस्थितियों में जीवन के हर क्षेत्र में उनका योगदान बढ़ रहा हैं सभी महिलाएँ कर्मषील होती है। परन्तु उनके द्वारा किए गए कार्य को मुद्रा में नहीं मापा जाता। यही कारण है कि किसी भी प्रदेष की कुल आरा में महिलाओं की आरा नगण्य है।
इसका दूसरा कारण यह भी कारण है कि अधिकत्तर महिलाएँ असंगठित क्षेत्रों में कार्य करती है। परिणामस्वरूप उनके द्वारा अर्जित आरा कुल सकल आरा में दिख नहीं पाती। इसलिए यह आवयक है कि महिलाओं के कार्य क्षेत्र को संगठित किया जाए ओर यह सुनिष्चित किया जाए कि उनके द्वारा अर्जित आरा उन्हें ही प्राप्त हो। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महिलाओं के दायित्व और जीवन संदर्भ भी बदल है। ऐसे ही आज महिला पुरुष के बीच की जिम्मेवारी हम सबकी है और सभी आज मदद कर रहे है।
पंचायत राज अधिनियम 2006 में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण तथा पंचायत चुनाव में लगभग 65 प्रतिशत महिला प्रतिनिधियों की जीत से जो पंचायतों का स्वरूप बदला है, उसकी पृष्ठभूमि बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। महिलाओं के सषक्तिकरण में महिलाओं की भूमिका क्या है। यह देखना बहुत ही रोचक है। पंचायतों में यह नया एवं बदला हुआ स्वरूप जिला प्रषासन एवं राज्य शासन के लिए भी एक नई चुनौति है। और एक नया अवसर भी। चुनौति इसलिए कि प्रषासन भी यह समझने में पीछे नहीं है कि पुरुषों की अपेक्षा एक महिला अच्छे-अच्छे तरीके से अपनी प्रतिभाओं का परचम लहरा सकती है।
How to cite this article:
सारथी कुमारी. कामकाजी महिलाएँ एवं पारिवारिक समायोजन की समस्या: एक अध्ययन. Int J Appl Res 2020;6(2):359-360.