Vol. 6, Issue 1, Part B (2020)
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ‘क्या घर क्या परदेश’ की प्रासंगिकता
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ‘क्या घर क्या परदेश’ की प्रासंगिकता
Author(s)
नन्दनी कुमारी
Abstract
अपनी कहानियों के समान ही दिवाकर के उपन्यासों के मूल में गाँव है। गाँव में बढ़ रहे शहर का प्रभाव और उस प्रभाव से हो रहे गाँव में परिवर्तन को रेखांकित करते उनके अधिकांश उपन्यास गाँव की सामाजिक एवं आर्थिक विसंगतियों को उभारने का प्रयास करते हैं।
How to cite this article:
नन्दनी कुमारी. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ‘क्या घर क्या परदेश’ की प्रासंगिकता. Int J Appl Res 2020;6(1):111-112.