Vol. 3, Issue 1, Part D (2017)
“सांस्कृतिक चेतना के विकास मे संगीत का योगदान” (बसंत एवं होली गान के संदर्भ मे)
“सांस्कृतिक चेतना के विकास मे संगीत का योगदान” (बसंत एवं होली गान के संदर्भ मे)
Author(s)
डा० नीता माथुर
Abstract
भारतीय संस्कृति में वसंत और होलिकोत्सव मनाने की सुदीर्घ परंपरा रही है। वसंत और फाल्गुन ऋतु में श्रंगार रसात्मक नृत्य.गान की अनेकानेक संगीत विधाएं हैं जिन्होंने भारतीय संगीत एवं संस्कृति को समृद्ध किया है। रासए रासकए चर्चरीए धम्मालीए फागु रास इत्यादि परंपराओं की विशाल धरोहर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित नृत्य गीत शैलियों में दिखाई देती है। ये विधाएं विभिन्न प्रान्तों के निवासियों की अभिरुचि एवं परंपरागत संस्कारों के अनुरूप विकसित हुई हैं।
How to cite this article:
डा० नीता माथुर. “सांस्कृतिक चेतना के विकास मे संगीत का योगदान” (बसंत एवं होली गान के संदर्भ मे). Int J Appl Res 2017;3(1):287-288.