Contact: +91-9711224068
International Journal of Applied Research
  • Multidisciplinary Journal
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

IMPACT FACTOR (RJIF): 8.4

Vol. 7, Issue 3, Part A (2021)

भारतीय नाट्यशास्त्र के प्रणेता आचार्य भरतमुनि और उनका नाट्यशास्त्र

भारतीय नाट्यशास्त्र के प्रणेता आचार्य भरतमुनि और उनका नाट्यशास्त्र

Author(s)
रोशन कुमार
Abstract
नाट्य कला पर प्राचीन भारतीय ग्रंथ नाट्यशास्त्र है जो अपनी विचारों की व्यापकता के साथ-साथ समग्रता से परिपूर्ण है। इस पुस्तक में न केवल नाट्य-कला पर विचार किया गया है बल्कि उसके आनुषांगिक विषयों जैसे काव्य, संगीत, नृत्य, शिल्प तथा अन्य ललित कलाओं पर भी विचार किया गया है। वर्तमान में उपलब्ध नाट्यशास्त्र में छत्तीस अध्याय तथा छह हजार श्लोक है।
पहले अध्याय में इस ग्रंथ की उत्पति कैसे हुई का वर्णन है। दूसरे अध्याय में नाट्यशालाएं बनाने की विधियों का वर्णन है। तीसरे अध्याय में रंगमंच के पैंत्तालीस देवताओं की चर्चा है। चौथे अध्याय का संबंध नृत्य शिक्षा से है। पाँचवे अध्याय में पूर्वरंग के विधान का विस्तार से विवेचन किया है। छठवें अध्याय में रस की चर्चा की गई है। सातवें अध्याय में भावों की चर्चा की गई है। आठवें से सत्ताईसवें अध्याय तक अभिनय तथा उससे संबंधित बातों का वर्णन होता है। अट्ठाईसवें से चौतीसवें अध्याय तक संगीतशास्त्र के विषय में वर्णन किया गया है। पैंतीसवें अध्याय में मंच पर सामने तथा नेपथ्य में कार्य करने वाले का वर्णन है। छत्तीसवाँ अध्याय अंतिम अध्याय है।
Pages: 01-06  |  2772 Views  2053 Downloads


International Journal of Applied Research
How to cite this article:
रोशन कुमार. भारतीय नाट्यशास्त्र के प्रणेता आचार्य भरतमुनि और उनका नाट्यशास्त्र. Int J Appl Res 2021;7(3):01-06.
Call for book chapter
International Journal of Applied Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals