Vol. 7, Issue 3, Part C (2021)
हंड़िया में प्रयोग होने वाले औषधीय प्रबंध एवं प्रभाव (आदिवासी जनजीवन के संदर्भ में)
हंड़िया में प्रयोग होने वाले औषधीय प्रबंध एवं प्रभाव (आदिवासी जनजीवन के संदर्भ में)
Author(s)
डाॅ. शम्पु तिर्की एवं डाॅ. विष्वासी एक्का
Abstract
जिस तरह सभ्यता मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति का सूचक है उसी तरह संस्कृति मानसिक क्षेत्र की प्रगति का द्योतक है। आदिकाल से ही भारत में अनुसूचित जनजाति के लोग रहते है-गोड़, भील, संथाल, उराॅंव, सहरिया, नागा, मुण्डा, बैगा इत्यादि छः सौ से भी अधिक विभिन्न जनजातीय समूह यहॅंा निवास करती है। इनकी संास्कृतिक विविधता ही हमारी विरासत है। वनस्पति के छाल, जड़, पत्ती एवं फलों का प्रयोग करके ये अपने भोजन का निर्माण स्वंय करते हैं। आदिवासियों द्वारा पिया जाने वाला विषेष शीतल पेय हंड़िया के निर्माण के लिए प्रयोग की जाने वाली वनस्पति कौन-कौन सी है। किन कार्यक्रमों में इसका उपयोग किया जाता है। इसी सोच को मूर्त रूप देने के लिए इसे अध्ययन में शामिल किया गया है।
How to cite this article:
डाॅ. शम्पु तिर्की एवं डाॅ. विष्वासी एक्का. हंड़िया में प्रयोग होने वाले औषधीय प्रबंध एवं प्रभाव (आदिवासी जनजीवन के संदर्भ में). Int J Appl Res 2021;7(3):141-142.