Vol. 7, Issue 2, Part A (2021)
लोककथाओं में लोकगीतों का संयोजन एवं स्त्री चेतना का स्वर
लोककथाओं में लोकगीतों का संयोजन एवं स्त्री चेतना का स्वर
Author(s)
डाॅ. विश्वासी एक्का
Abstractलोक कथाएँ हमारी प्राचीन धरोहर है हमारा आदि साहित्य है इनमें हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति सभ्यता और इतिहास समेकित है | लोक कथाओं में लोक जीवन की झांकी इनमें लोगों के सुखों -दुखों की अभिव्यक्ति होती है साथ ही ये मनोरंजन के साथ श्रम का परिहार भी करते हैं| मनुष्य प्रारंभ से ही कल्पनाशील रहा है अपनी इसी कल्पनाशीलता के कारण वह अपने आसपास की घटनाओं और यथार्थ को लोक कथा के रूप में कहने लगा | लोककथाएँ विश्व की हर भाषा में होते हैं | भारतीय आदिवासी और ग्राम्य जीवन में लोक कथाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है | ये संस्कृति की वाहक होती हैं वे संस्कृति की अनेकानेक तत्वों को एक पीढ़ी से दूसरी तक हस्तांतरित करती हैं | कुछ लोक कथाएँ अपने अंचल विशेष में कही सुनी जाती हैं कुछ अपने अंचल से निकल कर लोक जीवन तक पहुंचती हैं तो कुछ लोक कथाएँ थोड़े परिवर्तन के साथ विश्वव्यापी हो जाती हैं | लोक कथाओं में लोक गीतों का संयोजन उसे और सरस बना देता है |
आधुनिकता के प्रभाव से लोक कथाएँ विलुप्ति के कगार पर हैं आज इनके संकलन अन्वेषण पुनर्लेखन और विश्लेषण की आवश्यकता है प्रस्तुत शोध- पत्र का यही उद्देश्य है |
How to cite this article:
डाॅ. विश्वासी एक्का. लोककथाओं में लोकगीतों का संयोजन एवं स्त्री चेतना का स्वर. Int J Appl Res 2021;7(2):51-53.