Vol. 6, Issue 1, Part D (2020)
यथार्थ की उपज है श्यौराज का काव्य-साहित्य
यथार्थ की उपज है श्यौराज का काव्य-साहित्य
Author(s)
प्रियंका कुमारी
Abstract
विषमता भारतीय समाज का कड़वा यथार्थ है जिससे हर सवर्ण मुँह छुपाता रहा है और नीच-अछूत कहकर अपने स्वार्थपूर्ति के लिए दलितों का खुलेआम शोषण करता रहा है। यहाँ की सामाजिक व्यवस्था में जातिवाद की जड़े अमरबेल की माफिक सदियों से बदस्तूर फलफूल रही है। आजाद मुल्क में छुआछूत को अपराध धोषित किया जा चुका है परंतु सामाजिक तौर पर आज भी दलित कहलानेवाली जातियों से लोग दूरी बनाने का प्रयास करते है।
How to cite this article:
प्रियंका कुमारी. यथार्थ की उपज है श्यौराज का काव्य-साहित्य. Int J Appl Res 2020;6(1):308-311.