Vol. 7, Issue 11, Part C (2021)
लोक कला में ज्यामितीय रूप
लोक कला में ज्यामितीय रूप
Author(s)
डाॅ. अनिल गुप्ता, प्रतिभा यादव
Abstract
लोक कला अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग नाम से जानी जाती है। जो स्थान विशेष की सभ्यता संस्कृति की परिचायक है। जैसे राजस्थान में मांडना, महाराष्ट की रंगोली, उत्तरप्रदेश का चैक पूरना, असम बंगाल में अल्पना। इनको बनाने में ज्यामितीय आकारों का विशेष महत्तव है। ये ज्यामितीय आकार प्रतीक स्वरूप विशिष्ट अर्थ लिए होते हैं। त्रिभुज पेड, पौधे पहाड के प्रतीक, तो वृत सूर्य चांद का प्रतीक, उल्टे सीधे त्रिभुज मिलकर मानवाकृति, पशु आकृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। विषय और प्रसंग के अनुसार इनके अर्थ बदलते रहते हैं।
How to cite this article:
डाॅ. अनिल गुप्ता, प्रतिभा यादव. लोक कला में ज्यामितीय रूप. Int J Appl Res 2021;7(11):162-164.