Vol. 2, Issue 1, Part M (2016)
‘आषाढ़ का एक दिन’ : स्त्री संघर्ष का दस्तावेज
‘आषाढ़ का एक दिन’ : स्त्री संघर्ष का दस्तावेज
Author(s)
डॉ. ममता
Abstract
मोहन राकेश का सन् 1958 में प्रकाशित ‘आषाढ़ का एक दिन’ उनका सबसे उत्कृष्ट नाटक कहा जा सकता है। आलोच्य नाटक में कवि कालिदास का ऐतिहासिक पात्र कहीं न कहीं स्वयं नाटककार मोहन राकेश की प्रतिच्छाया का आभास कराता है। ऐतिहासिक कथानक पर आधारित यह नाटक हिंदी के सबसे ज्यादा शिक्षण-संस्थानों में पढ़ाए जाने वाला और रंगमंच पर खेला जाने वाला नाटक है। आलोच्य नाटक में प्रेम-विषयक भारतीय अवधारणा का विशद् चित्रण है। आज भी हमारे समाज में पुरुष के यौनिक अपराधों या कृत्यों को अपरिहार्य मानते हुए सामाजिक स्वीकार्यता दे की जाती है जबकि स्त्रियों में यौन-शुचिता की अपेक्षा की जाती है। नाटक में स्त्री-पुरुष के प्रति इस दोहरे मानदंड को भी रेखांकित करने का प्रयास किया गया है। यह नाटक स्त्री-पुरुष संबंधों के करूण यथार्थ का जीवन्त दस्तावेज है।
How to cite this article:
डॉ. ममता. ‘आषाढ़ का एक दिन’ : स्त्री संघर्ष का दस्तावेज. Int J Appl Res 2016;2(1):966-969.