Vol. 8, Issue 1, Part D (2022)
गद्य एवं खड़ीबोली हिन्दी के यात्रा में बाबू हरिश्चन्द्र’- एक अध्ययन
गद्य एवं खड़ीबोली हिन्दी के यात्रा में बाबू हरिश्चन्द्र’- एक अध्ययन
Author(s)
लक्ष्मी प्रसाद शर्मा
Abstract
आधुनिक हिन्दी खड़ी बोली को भागिरथी प्रयास से गद्य के रुप में अलंकृत कराने वाले तथा ध्रूव प्रयास से विश्वपटल पर हिन्दी को समृद्दी प्रदान कराने हेतु पृष्टभूमि तैयार करने वाले माँ भारती के सपूत बाबू हरिश्चन्द्र को हिन्दी साहित्य जगत अति श्रद्धाभाव से स्मरण करता है। उन्हीं के प्रेरणा के चलते वर्तमान में हिन्दी अपनी मंजील की समीपता को प्राप्त करती हुई विश्वमंच में अपना वर्चश्व गरिमा के साथ स्थापित करने में सक्षम होती दिखाई दे रही है, इसका श्रेय इन आप्त पुरुषों को ही देना चाहिए मैं ऐसा मानता हूँ। हिन्दी की सोचनीय दशा और उर्दू-फारसी की प्रबलता के युग में भारतेंदू हरिश्चन्द्र का जन्म होना और स्वल्पायु में ही हिन्दी में विविध गधाओं को समृद्ध करना कितना संघर्षमय काल रहा होगा। यह महज संयोग ही नहीं हिन्दी साहित्य के लिए वरदान से किंचित कम नहीं। उक्त लेख में विद्वानों के मतों का सहारा लेकर भारतेन्दु के जीवन एवं साहित्य समृद्धि को दर्शाने का प्रयाश किया गया है।
How to cite this article:
लक्ष्मी प्रसाद शर्मा. गद्य एवं खड़ीबोली हिन्दी के यात्रा में बाबू हरिश्चन्द्र’- एक अध्ययन. Int J Appl Res 2022;8(1):202-204.