Vol. 2, Issue 3, Part C (2016)
हेलाराज की टीका के आलोक में भर्तृहरि-दर्शन का व्याख्यान
हेलाराज की टीका के आलोक में भर्तृहरि-दर्शन का व्याख्यान
Author(s)
डॉ. मीरा शर्मा
Abstract
व्याकरण–दर्शन दर्शनशास्त्र की एक विधा है। भर्तृहरि द्वारा प्रणीत ‘वाक्यपदीयम्’ व्याकरण–दर्शन का एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ माना जाता है। यही कारण है कि वाक्यपदीय नामक ग्रन्थ व्याकरण–दर्शन से सम्बन्धित होने के कारण केवल व्याकरण के अध्येताओं के लिए ही नहीं; अपितु दर्शन के अध्येताओं के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। वाक्यपदीय के तीनों काण्ड–ब्रह्मकाण्ड, वाक्यकाण्ड और पदकाण्ड, वाक्यपदीय में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं किन्तु वाक्यपदीय वह ग्रन्थ है जो विशेष रूप से पद और वाक्यों से सम्बन्धित ग्रन्थ है। प्रथमकाण्ड में शब्दब्रह्म के स्वरूप का विमर्श होने के कारण, वह काण्ड समग्र वाक्यपदीय ग्रन्थ की प्रस्तावनाभूत मूलतत्त्व का विशद वर्णन करता है। वैयाकरणों के अनुसार वाक्य ही लौकिक व्यवहार का साधन होता है, इसलिए वर्ण, पद की अपेक्षा वाक्य ही प्रधान होता है। वाक्यपदीय के नाम से ही स्पष्ट है कि यह ग्रन्थ केवल वाक्य से ही नहीं अपितु वाक्य जिन पदों से बनता है उससे भी सम्बन्धित है। अतः वाक्यपदीय के तीनों काण्डों में ब्रह्म–वाक्य–पद तीनों का विशद रूप से प्रतिपादन किया गया है। भर्तृहरि का यह ग्रन्थ केवल मूल कारिकाओं में निबद्ध है, जिस कारण अनेकशः अनेक स्थलों पर कारिकाओं में निहित भाव को समझना कठिन हो जाता है। ऐसे में वाक्यपदीय ग्रन्थ पर विभिन्न विद्वानों द्वारा लिखी गई टीकाओं के आलोक में उन कारिकाओं का अर्थ समझा जाता है। अतः मेरे शोध–पत्र का विषय है–‘हेलाराज की टीका के आलोक में भर्तृहरि–दर्शन का व्याख्यान। प्रस्तुत पत्र में मेरे द्वारा वाक्यपदीय के तृतीय काण्ड पर उपलब्ध होने वाली हेलाराज की टीका के माध्यम से पदकाण्ड की कारिकाओं में निहित गूढ़ अभिप्राय को समझने की प्रविधि का विशद रूप से विवेचन किया गया है। इस पत्र के माध्यम से अन्य ग्रन्थों पर लिखी गई टीकाओं की सहायता से उन मूल ग्रन्थों मे प्रवेश करने की दिशा प्राप्त होगी। आज जबकि विश्व में भर्तृहरि के भाषादर्शन को लेकर दार्शनिकों, भाषावैज्ञानिकों एव मनोवैज्ञानिकों के बीच रुचि व्याप्त है, इस प्रकार का अध्ययन भर्तृहरि के दर्शन में प्रवेश करने के इच्छुक पाठकों के लिए दिशा–निर्देशन का कार्य करेगा।
How to cite this article:
डॉ. मीरा शर्मा. हेलाराज की टीका के आलोक में भर्तृहरि-दर्शन का व्याख्यान. Int J Appl Res 2016;2(3):166-170.