Vol. 3, Issue 8, Part L (2017)
बुद्धचरितम् में अश्वघोष के भाषा शैली का वैशिष्ट्य
बुद्धचरितम् में अश्वघोष के भाषा शैली का वैशिष्ट्य
Author(s)
डॉ0 अशोक कुमार दुबे
Abstract
संस्कृत साहित्याकाश के जाज्वल्यमान ज्योर्तिपुंज अश्वघोष एक महाकवि, बौद्धि धर्म भिक्षु एवं उपदेशक हैं। इन्होंने साहित्य को धर्म तक पहुँचाने के सोपान के रूप में अपनाया है। शील-सौन्दर्य से मण्डित काव्य यदि सत्काव्य है तो निःसन्देह अश्वघोष की रचनायें समुचित सत्काव्य प्रतिभासित होती है। यद्यपि अश्वघोष का मुख्य प्रयोजन काव्य रचना नहीं, अपितु बौद्ध के उपदेशों को प्रभावपूर्ण ढंग से सम्पूर्ण जनमानस के समक्ष बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करना था। धर्म का कर्Ÿाव्य मात्र इतना ही नहीं है कि वह जीवन के आदर्शात्मक पक्ष को प्रस्तुत करे, बल्कि धर्म का यह भी कार्य है कि वह श्रोताओं को उन आदर्शों में विश्वास दिलाने के लिए तथा आदर्शों की यथार्थता प्रतिपादित करने के लिए भी तर्क एवं प्रमाण प्रस्तुत करे। इसी श्रेष्ठ उदाŸाात्मक भावकलश को परिपूर्ण करने हेतु अश्वघोष ने इस मार्ग को अपनाया।
How to cite this article:
डॉ0 अशोक कुमार दुबे. बुद्धचरितम् में अश्वघोष के भाषा शैली का वैशिष्ट्य. Int J Appl Res 2017;3(8):957-959.