Vol. 7, Issue 9, Part D (2021)
नाभादासकृत भक्तमाल और भक्तमाल परम्परा: एक ऐतिहासिक अध्ययन
नाभादासकृत भक्तमाल और भक्तमाल परम्परा: एक ऐतिहासिक अध्ययन
Author(s)
धनेश गोयल एवं डाॅ0 प्रतिभा शर्मा
Abstract
भक्तमाल मध्यकाल में रचित एक बहुत ही प्रसिद्ध ग्रन्थ है, जिसके रचनाकार श्रीनाभाजी हैं। भक्तमाल शब्द अपने अर्थ की व्याख्या स्वयं करता है क्योंकि भक्त़माल अर्थात भक्तों की माला। भक्तमाल में भक्तों का गुणगान है। भक्त शब्द बहुत ही व्यापक है क्यों कि राम कृष्ण या देवी भक्त को ही भक्त नहीं कहा जाता बल्कि भक्तों का क्षेत्र व्यापक है। भक्तमाल से पहले भी हमें भारत और अन्य देशों से अलग-अलग भाषाओं में भक्तों की कथाओं से सम्बंधित ग्रन्थ प्राप्त होते रहे हैं और जिनका प्रयोग ऐतिहासिक आधार के रुप में भी होता रहा है। प्रस्तुत पेपर में भक्तमाल से पूर्व के भक्तमालों, नाभाजीकृत भक्तमाल, भक्तमाल परम्परा के विकास क्रम की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डालने का प्रयास किया जा रहा है।
How to cite this article:
धनेश गोयल एवं डाॅ0 प्रतिभा शर्मा. नाभादासकृत भक्तमाल और भक्तमाल परम्परा: एक ऐतिहासिक अध्ययन. Int J Appl Res 2021;7(9):283-286.