Vol. 8, Issue 3, Part B (2022)
जीवन का सार तत्त्वः भावतरंगिणी
जीवन का सार तत्त्वः भावतरंगिणी
Author(s)
डॉ. विमलेन्दु कुमार विमल
Abstract
कविवर द्वारिका राय ‘सुबोध’ का जन्म 01 जुलाई, 1944 को बिहार राज्य के समस्तीपुर जिला अंतर्गत ग्राम-सिरदिलपुर के एक किसान परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम स्व0 केश्वर राय और माता का नाम शुकनी देवी था। ये बचपन से मेधावी छात्र थे। इनकी शिक्षा-दीक्षा एम. ए., हिन्दी और बी0एल0 तक हुई। इनके द्वारा प्रणीत अबतक 8 पुस्तकें हैं, जिनमंे प्रमुख हैं -‘गीत तुम्हारे नाम’, ‘मन वृन्दावन,’ ‘प्राणों की बांसुरी’, ‘सांसों के सरगम’, ‘यों न भुला दीजिए’। रूचि के अनुसार ही इनको भारतीय रेल में वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी के रूप में कार्य करने का मौका मिला। इनकी प्रतिभा को देखते हुए और राजभाषा हिन्दी के उत्कृष्ट प्रचार-प्रसार एवं प्रयोग के लिए राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, पूर्व क्षेत्र कोलकाता एवं महाप्रबंधक, पूर्वाेत्तर रेलवे, गोरखपुर ने पुरस्कृत किया।
How to cite this article:
डॉ. विमलेन्दु कुमार विमल. जीवन का सार तत्त्वः भावतरंगिणी. Int J Appl Res 2022;8(3):91-93.