Vol. 7, Issue 6, Part F (2021)
घरेलू, हिंसा-सामाजिक एवं आर्थिक कारक
घरेलू, हिंसा-सामाजिक एवं आर्थिक कारक
Author(s)
ममता कुमारी सिन्हा
Abstract
भारत में महिलाओं को कानूनन वे सभी अधिकार प्राप्त हैं जो पुरूषों को प्राप्त हैं, पर व्यवहार में अनेक विसंगतियां हैं, जिन्होंने महिलाओं की सोच में क्रान्तिकारी परिवर्तन ला दिया है। मिसाल के तौर पर, परिवार के अन्दर ही लड़कियों को अपने भाईयों की तरह पढ़ाई-लिखाई, खेलकूद, खाने-पीने तक की सुविधा नहीं मिलती। शादी के मामले में ज्यादा से ज्यादा लड़का दिखाकर उसकी मर्जी का पता लगाने की रस्म पूरी कर ली जाती है। बाद में लड़की की जिन्दगी दूभर हो जाए और उसकी जान चली जाए, तब मां-बाप भले रोते रहें, उससे पहले कुछ नहीं होता। नाबालिग लड़कियों की शादियां गैर-कानूनी होने के बावजूद आज भी अनेक स्थानों पर खुलेआम हो रही हैं। इस मामले में राजस्थान तो बाल विवाह के लिए सुप्रसिद्ध है।
How to cite this article:
ममता कुमारी सिन्हा. घरेलू, हिंसा-सामाजिक एवं आर्थिक कारक. Int J Appl Res 2021;7(6):397-402.